वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
११ जून २०१७
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दोहा:
लकड़ी जल डूबे नहीं, कहो कहाँ की प्रीति ।
अपनी सीची जानि के, यहीं बड़ने की रीति ॥ (संत कबीर साहब)
प्रसंग:
असुरक्षा माने क्या?
हम क्यों इतना असुरक्षित रहते हैं?
हमारा सुरक्षा के नाम पर किया गया सारा विकास इतना विनाशक क्यों होता है?